सिंधी समाज की संस्कृति, एकता और भव्यता के उत्सव “चेटीचंद जो मेलो 2025” में शामिल हुआ

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भारतीय सिंधु सभा, घाटकोपर-विक्रोळी-पवई विभाग द्वारा आयोजित “चेटीचंद जो मेलो 2025” का आयोजन अत्यंत धूमधाम और सांस्कृतिक उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस विशेष अवसर पर सिंधी समाज के पारंपरिक नववर्ष ‘चेटीचंद’ को भव्यता के साथ मनाया गया, जिसमें भगवान झूलेलाल के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
इस पावन और आनंददायक समारोह में, मैं विशेष अतिथी के रूप में शामिल हुआ। कार्यक्रम स्थल पर पहुँचने के बाद मैंने भगवान झूलेलाल जी के चरणों में नमन कर आशीर्वाद लिया और सिंधी समाज के इस उत्सव में सहभागी होकर एकता और सद्भावना का संदेश दिया।
अपने संबोधन में मैंने सिंधी समाज की एकता, संस्कृति और उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि, “सिंधी समाज के त्याग, परंपरा और सहिष्णुता से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। ओचेटीचंद जैसा पर्व न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह समाज को जोड़ने का काम भी करता है।”
इस अवसर पर भजन, लोकनृत्य, नाट्य प्रस्तुति और पारंपरिक गीतों ने कार्यक्रम को आनंदमयी बना दिया। बड़ी संख्या में सिंधी समाज के सदस्य, वरिष्ठ नागरिक, युवा और बच्चे इस मेलो का हिस्सा बने।
“चेटीचंद जो मेलो 2025” एक सफल, भव्य और भावपूर्ण आयोजन रहा, जो परंपरा, संस्कृति और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन गया।

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